गुड्डू के बाबूजी का जबाब
प्रिय गुड्डू के माई तोहार चिट्ठी मिलल पढ़ के बड़ा खुशी मिलल की सब केव घरे खुश और ठीक बा हमहू इहवा पे ठीकय बाटी तू त बड़ा नराज लागत बाटू हमरे उपर लेकिन तूहू इ जान ल कि दुनिया में अगर केहू के हम अपने जान से ज्यादा जान मानी ला त उ तोहई बाटू हो तू इ कइसे सोच लिहू कि हम तोहके घरवे प्यार करिला. तू इ जान ल कि इहवा पे हम कईसे रहत बाटी उ त हमार जियरय जानत बा. अगर हमार बस रहत त हम कबहु तोहके छोड़ के एतना दूरी आइत हो. उ त का बा कि सबके जिनगी में इ सब अइब करत ह त हमरव और तोहरव जीनगी में बा त आदमी के जीवन जब उ भगवान जी देहले बाटेन त कब तक घरे बइठले चली हो. अउर एक बात बातावा अबही त बड़ा कहत बाटू कि इहवे् प्यार करेला उहवा भूला जाएला त अगर हम घरवे तोहका प्यार करब तब तोहार इ सड़िया और तोहरे लाल के सइकिलावा कइसे आई तनि बातावा त उहवा पर माई और बाबू जी के खूब ख्याल करिहा इ ना कि हम ना बाटी घरे त तू उनका ख्याल न करा हम तोहरही भरोसे त आइल बाटी इहवा अउर हा इहवा हमार काम धन्धा बहुत सही चलत बा त हम दूई हजार रूपिया भेजब अपने दूसरे पूरवा के एक जनी जाए वाला बाटेन ते