गुड्डू के बाबू जी को पत्र

प्रिय गुड्डू के बाबू

                          जब से पंजाब गईल बाटा तब से कवनो हाल खबर ना बा जी तोहार लागत बा कि कुल प्यार राउर के इहवे पर बुझाला अउर पंजाब जइते सब भुला जाला हो . एक बात बताई तोहरा तनिको पता बा कि ना हम इहवा पर कैसे कैसे जिनगी काटत बाटी अउर एक राउर बाटी कि कुछ बुझात नइखे. इहवा पर सब ठीक बा. राउर बातई कि सब कैसे बा. काम धन्धा ठीक ठाक चलत बा कि ना. खाना खईले जइहा अच्छे से अबकी जब अइला त शरीरवा में कूछ रहबै न कईल ते तनी खाना पीना पर ध्यान दिहल करा न कि हरदम कमाई पर ही लागल रही एक बात जान लिहअ कि जब शरीरवा रही तबै कमाई होई अउर तबै सब पूछि नही त केव पूछत नाय
इहा पर अम्मा बाउ जी के तबियत कभी कभी ना ठीक रहेला एक दिन अम्मा कहत रहनी कि देखा अबकी गुड्डू के बाबू आवेला कि न उ पूछत रहनी कि होली आवत बा त  अइबा कि ना कि उहवे पर होली दिवाली बिताइबा देखा तिव तिवहारे चलि आवल करा आशा लागल रहेला कि अइबा. हमहू तोहरे राह देखत रहीला कि अइना त तनि हमरो मन हरियर होई जाई नही त बस बनअही और खइला मे जिनगी बितत रही. अरे जब भगवान इ शरीरवा बनईले बाटेन त तोहरे के खातिर बा न हो अगर तोहई न अइबा ते हमार त होली फगुआ त सब सुन रही न हो समझत बाटा कि ना. त एक बात कान खोलिके सुन ल सीधे सीधे गाडी ध लिहअ अउर चल अइह
                       गुड्डू भी तोहरय राह ताकत बाटे कि अबकि तू अइबा त उहके छोटकी साइकिल दवइबा. उ अपन साथ के सब लड़िका लोग से बातावत रहेला कि अबकि जब हमार पापा अइहय त हमका सइकिल लईहय त देखा लड़िका के मन न तोड़िह अइहा जरुर.अउर एक बात अम्मा जी के उ हिमगंगे वाला तेलवा लिहे आयय अउर बाबू जी के चम़ड़ा के जूता अउर हमहू के खातिर दूई ठे साडी लेहे आयय. अबकि मईवा में हमरे नइहरवा एकठे बिआह बाटय त हमके दू साड़ी त चाहबे करी नही ते हम बोलब न जब अहवा त. गुड्डू के खातिर एक जोड़ी बढिया से पैन्ट सैट लिहे आयय
                   इ पाती मिलतय एकर जबाब लिख दिहअ अउर सब त ठीक ठाक बा इहा इ त गांव गिराव है इहा त काम चलिय जाई देखअ तू आपन खियाल रखिहअ अउर खाए पीए जायय ठीक से

     तोहरे गुड्डू के माई

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