दौर-ए-चुनाव ।आरोप प्रत्यारोप की महफ़िल
लोकसभा के चुनावी बिगुल बजने के साथ ही धीरे-धीरे ही सही नेताओ के आरोप और प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है। अब हर नेता अपनी छवि चमकाने के लिए दुसरो पर बिना सोचे समझे और बेझिझक आरोप पर आरोप लगाएगा क्योकि खुद के बचाव का यह पुराना और सबसे असरदार तरीका है। क्योंकि हम आप भी कुछ दिन के लिए बिना सोचे समझे भेड़ चाल में शामिल हो जाएंगे ,कही न कही हम भी जाति धर्म के चक्कर मे फंस ही जायेंगे।
फिर शुरू होगा असली खेल ।फिर हम और आप मे से ही लोग बनेंगे नेता रूपी दादा दादी चाचा भैया भाभी के सपोर्टर।फिर नेता जी आएंगे और हम आप उनको सुनने जाएंगे जहा की सुनने जैसा कुछ होगा नही लेकिन हम जाएंगे क्योकि नही जाएंगे तो भीड़ कहा से बनेगी
अगर आप हम ध्यान दे तो सालो साल से इनके भाषणों में कुछ भी नही बदला है ,क्योकि हर नेता अपनी काबिलियत आपकी भलाई कैसे करेगा ये बताकर नही सिद्ध करेगा बल्कि वो यह बताएगा कि सामने वाला नेता कैसे गद्दार है रिश्वतखोर है देशद्रोही है और भी जितना नीचे गिरा सकता है गिरायेगा।और भोली भाली जनता अपना सब परेशानी भूल कर इनके नौटंकी और खेल में बटकर मूलभूत मुद्दे को छोड़कर वोट कर देगी ,आज तक तो यही हुआ है
लेकिन मेरा मानना है कि हमे आशावादी होना चाहिए।इस बार मैं देश के सभी नेताओं से आशा करता हूं कि वो देशहित और समाजहित के तरीके बताकर वोट मागेंगे,और जनता समाजहित और अपने आने वाले कल के लिए वोट करेगी ।।
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