लीक सिस्टम में कराहता प्रतियोगी

              'प्रतियोगी परीक्षाओं में "लीक सिस्टम"

आज हमारे समाज मे युवा प्रतियोगी परीक्षाओं में "पेपर लीक सिस्टम" के कारण बहुत ही परेशानी और हिकारत भरी जिंदगी जी रहा है ! आज कल जो भी परीक्षाएं आयोग द्वारा या विभिन्न राज्य सरकारों या अन्य सरकारी संस्थाओं द्वारा करवाये जा रहे है उनका पेपर लीक होने तो एक ट्रेंड जैसा बन गया है,कोई भी पेपर ऐसा नही होता जिस पर उंगली न उठे और उसका खामियाजा परीक्षार्थी ही भुगतता है क्योंकि अपने देश मे किसी की कोई ज़िम्मेदारी ही नही निर्धारित हो पाई है आज तक ,गलती करता कोई और है और भुगतता कोई और है
जब कोई फॉर्म निकलता है तो पहले हमें 100 से लेकर 1000 या 2000 तक के फॉर्म भरते है फिर उसके लिए दिन रात एक करके पढ़ना, किताब कापी का खर्च अलग से ,और कोचिंग के खर्चे के बारे में तो पूछो ही मत वो तो है ही खून चूसने के लिए,ये सब करके जब हम पेपर देने जाते है ऊपर से परीक्षा सेंटर आपके घर से कई सौ किलोमीटर दूर,ये सब झेलते हुए जब हम आप पेपर देकर निकलते है तो लगता है अबकी कुछ अच्छा हो जाये लेकिन मजाल है कि पेपर लीक सिस्टम आपका कुछ भला होने दे ,तब तक पता चलता है आपको पेपर मिलने से पहले ही उत्तर सहित पेपर व्हाट्सअप पर घूम रहा है फिर हम आप वापस निरास हतास मुँह लेकर वापस आते है और फिर दो चार दिन उदास रहकर दोबारा संघर्ष के लिए तैयार होते है कि अबकी जरूर नौकरी ले लेंगे
क्योकि हमे विश्वास है कि आज नही तो कल सब कुछ बदलेगा और एक ईमानदार और लीक मुक्त परीक्षा व्यवस्था हमे मिलेगी

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